________________
सच्चा पाठ
१२७ वाचार्य ने पाठ दिया, 'सत्यंवद क्रोधं मा कुरु" - "सच बोलो, क्षमा करो।"
दूसरे दिन विद्यार्थियों से पाठ पूछा गया तो पहला नम्बर था युधिष्ठिर का :- "गुरुजी, मुझे पाठ याद नहीं हुआ..." युधिष्ठिर का उत्तर सुनकर आचार्य को क्षोभ हुआ और साथी विद्यार्थी उसकी बुद्धि पर हंस पड़े। ___ कुछ समय बाद गुरुजी ने डांट लगाई-"युधिष्ठिर ! क्या बात है ? भीम, अर्जुन, सुयोधन आदि सबने पाठ याद कर लिया और तुम सब में ज्येष्ठ होकर भी पीछे पड़े हो ! शीघ्र ही पाठ याद करो।"
युधिष्ठिर दिन भर पाठ रटते रहे, पर संध्या होतेहोते जबकि अन्य विद्यार्थी अगला पाठ भी सुना चुके थे युधिष्ठिर पहले पाठ पर ही अटके थे । झुझला कर गुरुजी ने युधिष्ठिर की पीठ पर एक बेंत-प्रहार किया। युधिष्ठिर उछल पड़े- "गुरुजी, पाठ याद हो गया।"
सभी साथी हंस रहे थे--- 'डंडे ने पाठ याद करा दिया।' गुरुजी ने पूछा- "इतनी देर याद नहीं हुआ, और
एक बेंत लगते ही कैसे याद हो गया ?" । युधिष्ठिर ने मंदहास्य के साथ कहा-'गुरुजी, आप शब्दों को ही पूछना चाहते हैं, वे तो, कल ही मुझे याद हो चुके थे, किन्तु मैं इन्हें केवल वचन से नहीं, मन से पढ़ना चाहता था, और इसकी परीक्षा तभी होती जब
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org