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तीन देवियाँ
"मुझे कहते हैं भय ! हृदय मेरा निवास स्थान है।"
"वहां तो हिम्मत जो रहती है ? तुम्हें कैसे वहां स्थान मिलेगा ?"
"जनाब ! पता है आपको ? जब मैं आता हूँ तो हिम्मत का डेरा उठ जाता है।"
और तीनों आकृतियों के अट्टहास के बाच युवक चिन्तन-लीन खड़ा रहा।
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