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"तीसरी बात यह कि लोग मेरे बिना कहे ही अपनी भूलों को समझ जाते हैं। साथ ही उन भूलों के परिमार्जन का मार्ग भी कथाओं व रुपकों के द्वारा उनको मिल जाता है।"
"चौथी बात यह है कि कथाओं के द्वारा जो उपदेश दिया जाता है, वह उपदेश इतना रुचिकर और प्रिय होता है कि श्रोता यह समझता है कि यह उपदेश दिया जा रहा है। वह शरबत की तरह उसके गले के नीचे उतर जाता है।"
श्रीमद्भागवतकार ने कहा है कि संसार ताप से संतप्त प्राणी के लिए कथा संजीवनी बूटी हैतव कथामृतं तप्त जीवनं
कविभिरीडितं कल्मषापहम् । श्रवण-मंगलं श्रामदाततं भुवि गुणान्तितं भूरिदा जनाः
-श्रीमद्भागवत १०॥३११९ महात्मा गांधी ने अपनी आत्म-कथा में लिखा है कि शिक्षक का कार्य है गहन विषय को भी सरल-सरस व मनोरंजक बनाकर प्रस्तुत करे । यह कार्य कथाओं के द्वारा ही संभव है । कथाओं के द्वारा दार्शनिक, धार्मिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक जैसे गुरु-गंभीर विषय भी इतने रुचिकर व सरस बन जाते हैं कि पाठक को उन्हें समझने में कठिनता नहीं होती।
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