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ऊपर देख की आह्लादित करो ! तुम्हारा साहस दुगुना हो जायेगा और भय एवं संकट छिन्न-भिन्न !
समुद्र यात्रा में एक नाव तूफान के थपेड़े खाकर डगमगाने लग गई। तत्काल ही मांझी युबक रस्सी पकड़कर ऊपर चढ़ा और पाल को मजबूती से बाँधा। जैसे ही वह रस्सी के सहारे नीचे उतरने लगा तोलहरों के आवर्तन से उथल-पुथल होते समुद्र पर उसकी नजर पड़ी, समुद्र का भयंकर गर्जन सुनकर युवक कांप उठा, उसके मुंह से चीत्कार फूट पड़ी-"बचाओ ! मैं गिर रहा है।"
वृद्ध मांझी ने नीचे खड़े युवक की भयाक्रांत दशा देखी, वह वहीं से पुकार उठा--"युवक नीचे मत देख, सामने नीले आकाश में उड़ते पक्षियों को देख ! आँखें ऊपर रख।" .
युवक मांझी ने आँख आकाश में गड़ा दी, धीरे-धीरे वह सकुशल नीचे उतर आया।
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