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अनुश्रुत श्रुतियाँ लौटकर नहीं आता-“णो हवणमंति राइओ'१-बीती हुई रात्रियां कभी लौट कर नहीं आतीं।
एक चित्र प्रदर्शनी में विभिन्न शैलियों के सुन्दरसुन्दर चित्र टंगे थे। उनमें एक विचित्र चित्र था जो दर्शकों का ध्यान बरबस अपनी ओर खींच रहा था। उस चित्र में एक मनुष्य के चेहरे को बालों से ढका हुआ और पैरों में पर लगे हुए बताया गया था। एक प्रबुद्ध दर्शक ने प्रदर्शनी के चित्र आयोजक से पूछा- "यह किसका चित्र है ?'
आयोजक-'समय का।' "इसका मुह क्यों छिपाकर रखा गया है ?"
आयोजक ने उत्तर दिया-"इसलिए कि जब अवसर हमारे सामने आता है तो हम उसे पहचान नहीं पाते।"
"और इसके पैरों में पंख क्यों लगे हैं ?"
मधुर मुस्कान के साथ आयोजक ने बताया"इसलिए कि अवसर हमेशा उड़ता रहता है, आर कभी लौटकर वापस नहीं आता।"
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सूत्र० १।२।१।१
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