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सत्य की शक्ति
हजरत गौसुल को अध्ययन के प्रति अत्यधिक रुचि थी। उस समय बगदाद शहर विद्या का प्रमुख केन्द्र था । गौसुल ने अपनी माँ से बगदाद जाने की आज्ञा माँगी। माँ ने प्रेम से उसे आज्ञा प्रदान की और चालीस अफियाँ लड़के के कुर्ते में बगल के नीचे चतुराई से सिलदी जिससे वे सुरक्षित रहें । विदा होते समय माँ ने आशीर्वाद दियाबेटा ! मैं तुम्हें सहर्ष भेज रही हूँ किन्तु सदा सत्य बोलना और ईश्वर को मत भूलना।। ___ हजरत गौसुल एक काफिले के साथ रवाना हुए । रास्ते में डाकुओं के एक गिरोह ने काफिले को लूट लिया। एक
बिन्दु में सिन्धु
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