________________
अपने आपको देखो
युनिवर्सिटी के पुस्तकालय में एक नवीन व्यवस्थापक की नियुक्ति हुई । उसने पुस्तकालय में अनेक परिवर्तन किये । नवीन व श्रेष्ठ पुस्तकों पर पाठकों का ध्यान शीघ्र केन्द्रित हो, एतदर्थ उसने लेखक व विषय की दृष्टि से पुस्तकों का वर्गीकरण किया । नूतन साहित्य को एक ओर सजा कर रखा । कभी वह जीवन चरित्रों को, कभी यात्रा वर्णनों को और कभी पुरस्कृत पुस्तकों को इस प्रकार सजा कर रखता कि देखते ही दर्शक उन्हें पढ़ने के लिए ललक उठता।
उसने द्वार पर सुन्दराक्षरों में लिखा-"आपने पुस्तकालय में अन्य लेखकों की श्रेष्ठ से श्रेष्ठ कृतियाँ देखी हैं अब आपकी कृति आपके सामने हैं कृपया उसे भी अवश्य देखिए और सामने था एक सुन्दर दर्पण । दर्पण अपने आपको निहारने की सुन्दर प्रेरणा प्रदान करता था। १० बिन्दु में सिन्धु
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org