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पुण्यपुरष २३ था। उसके संकेत पर वह अपने सैकड़ों दास-दासियों को कोई भी कार्य पूर्ण करने के लिए दौड़ा देता था।
कुछ समय ऐसे ही व्यतीत हुआ, किन्तु इस अवधि में भी रानी कमलप्रभा कभी-कभी उदास दिखाई देती थी। श्रीपाल से यह बात छिपी न रह सकी। एक दिन उसने रानी को गुमसुम देखकर पूछ ही लिया- .
_ "मा! मैं स्वस्थ हो गया, राजकुमारी मैनासुन्दरी जैसी पुत्रवधू तुम्हें प्राप्त हो गई, राजा प्रजापाल हमारा इतना सत्कार करते हैं फिर तू कभी-कभी उदास क्यों दिखाई देती है ?"
बेटे का प्रश्न सुनकर माँ ने उत्तर दिया__ "बेटा श्रीपाल ! मुझे और तो कोई कष्ट नहीं, किन्तु कभी-कभी मुझे शशांक याद आ जाता है। बहुत समय से वह दिखाई नहीं पड़ा। अन्तिम बार मैंने उसे उज्जयिनी में प्रवेश करते समय देखा अवश्य था, वह वेश बदले हुए था। मेरे समीप नहीं आया । दूर से ही देखकर बस अचानक भीड़ में गायब हो गया था। बस, उसके बाद अब तक उसका कोई ठौर-ठिकाना ही नहीं। अब तो उसे हमारे पास आ जाना चाहिए था।" ___ "अरे माँ, तो उसमें इतना चिन्तित होने की भला क्या बात है ? मैं उसे फौरन खोजकर यहाँ बुला लेता हूँ।"
"तू उसे क्या खोजेगा श्रीपाल ! वह इतना चतुर है कि एक बार वेश बदल लेने पर फिर उसे ब्रह्मा भी नहीं
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