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५. पुण्यपुरुष ___"अन्नदाता ! ये कोढ़ी लोग तो दिमाग के भी कोढ़ी हैं। धन, अन्न, वस्त्र, जमीन, ऊँट, घोड़ा तो कुछ मांगते नहीं........।" __ "तब क्या मांगते हैं, हमारा सिर? हमारा सिर तो उन्हें देखने से ही अब तक दुख रहा है।"-राजा ने झल्लाकर कहा।
"परमात्मा आपको चिरायु करें अन्नदाता ! किन्तु वे कोढ़ी कहते हैं कि उनका कोई एक राजा है, पता नहीं क्या नाम बताया, मैं तो भूल ही गया। खैर, अपने उस राजा को लिए वे एक लड़की की माँग आपसे कर रहे हैं । भला उनकी मजाल तो देखिए।"
"लड़की माँगते हैं ? क्या मतलब ? क्या करेंगे वे उस लड़की का ? अचार डालकर खाएंगे ? या अपनी अभागियों की सेना में एक और अभागी की वृद्धि करना चाहते हैं ?" __"जो कुछ भी हो अन्नदाता ! वे अपने राजा का किसी लड़की के साथ ब्याह करना चाहते हैं। आपको दानी समझकर आपसे उन्होंने एक लड़की की याचना की है।" ___"गधे हैं। मौत के मुंह में लटकते कोढ़ी और फिर उनका राजा? और फिर उस राजा के लिए रानी ? कुदरत भी क्या-क्या तमाशे किया करती है। जाओ, कह दो उन मूर्तों से कि लड़की-वड़की नहीं मिलेगी। कुछ और चाहिए तो मांग ले जाओ।"
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