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पुण्यपुरुष ४६ लड़की की जिन्दगी बिगाड़ना चाहता है ? लगता है तेरी बुद्धि सठिया गई है। कुछ और चाहिए तो जल्दी से बोल, वरना मैं चला।"
व्यंग्यपूर्वक यह कहकर मन्त्री चलने के लिए मुड़ा। बूढ़े नायक ने उसी दृढ़ता से कहा-~
"आप जाते हैं तो भले पधारें । हमें तो जिस वस्तु की आवश्यकता थी सो हमने बता दी। अब आगे आप जानें और आपके दानी राजा।"
बूढ़ा भी अपनी यह बात कहकर लाठी टेकता, जमीन टटोलता लौट पड़ा।
राजा साहब अपने राजविहार में शीतल निकुञ्जों में स्फटिक के सिंहासनों पर जल-यन्त्रों से उड़ती हुई फुहारों तथा उनमें से प्रकट होती हुई इन्द्रधनुषी छटा का आनन्द ले रहे थे। पक्षी मधुर ध्वनि में गान कर रहे थे और सुन्दरी नर्तकियाँ अपने मनोरम नृत्यों द्वारा कोढ़ियों के दर्शन मात्र से राजा साहब के सिर में उठी पीड़ा का शमन कर रही थीं। तभी मन्त्री आ पहुँचा । सिर झुकाकर खड़ा हो गया। राजा ने उसे देखा और पूछा
"मन्त्रीजी ! क्या चाहते हैं वे लोग ? दे-दिलाकर भगा दिया न उन्हें ।"
मन्त्री असमंजस में था कि क्या कहे। किसी प्रकार साहस जुटाकर बोला
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