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पुण्यपुरुष
अब राजा ने मैनासुन्दरी पूछा
"बेटी मैना ! तुम चुप कैसे हो? बोलो, तुम क्या चाहती हो ?" ___ मैनासुन्दरी ने जैनाचार्य से शिक्षा पाई थी। वह तत्त्ववेत्ता थी। असत्य से उसे घृणा थी। उसने उत्तर दिया___ "पिताजी! यह तो सही है कि प्रत्येक माता-पिता का उनकी सन्तानों पर सांसारिक दृष्टि से बड़ा उपकार होता है, क्योंकि वे इस जीवन में प्रत्यक्षतः उनका लालनपालन करते हैं, किन्तु किसी भी व्यक्ति द्वारा यह गर्व किया जाना कि वह अन्य व्यक्तियों का पालनकर्ता है और जिसे चाहे उसे सुख या दुःख दे सकता है एक भ्रम है, असत्य है, मिथ्याभाषण है।" __मैनासुन्दरी के इस कथन को सुनकर राजसभा स्तब्ध रह गई-यह लड़की क्या कह रही है ? भरी सभा में अपने पिता, राजा प्रजापाल के कथन का विरोध कर रही है। इतना ही नहीं, उस कथन को असत्य एवं मिथ्या कह रही है । इसे अचानक यह क्या हो गया है ? भय और आशंका से उस सभा में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति का हृदय धड़कने लगा।
राजा प्रजापाल भी मैनासुन्दरी के इस कथन को सुनकर आश्चर्य में डूब गया। उसने कहा___"पुत्री ! तू क्या कह रही है ? तेरा आशय क्या है ? क्या तुझे मेरी शक्ति में विश्वास नहीं ? क्या मैं जो चाहूँ वह नहीं कर सकता?"
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