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________________ बलिहारी है समय की ! काल-चक्र कब कैसा परिवर्तन करेगा और उसका परिणाम क्या होगा यह कोई नहीं जानता। कल तक के शूरवीर, रणधीर, अभय सेनानी आज धूलि-धूसरित होकर पड़े हुए तड़पने लगते हैं और कोई उन्हें चुल्लू भर पानी के लिए भी नहीं पूछता । कल तक के राजा और सम्राट् आज रंक-भिखारी होकर दरदर की खाक छानते हैं और कोई उन्हें मुट्ठी भर अनाज भी नहीं देता। कल तक की रानियां और महारानियां जो तीन-तीन बेर छप्पन पकवान खाती थीं, उन्हें आज तीन बेर भी नसीब नहीं होते। बलिहारी है समय की ! रानी कमलप्रभा, जो कल तक कलधौत के धामों में सुख-शय्या पर शयन करती थी, जिसे मखमल के गलीचों से नीचे अपने कोमल चरण रखने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती थी, सैकड़ों दास-दासियाँ जिसकी आज्ञा और संकेत पर दौड़ने-भागने के लिए हाथ बांधे खड़ी रहती थीं-वही रानी कमलप्रभा भाज एक भीषण अँधियारी रात में अपने छोटे से पुत्र को गोद में उठाये, एकाकिनी, हारी-थकी, डरी-सहमी, भविष्य की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003183
Book TitlePunya Purush
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1980
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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