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शशांक की व्यवस्था-कुशलता अद्भुत थी। इधर श्रीपाल और जयसुन्दरी का विवाह सम्पन्न हुआ और उधर स्थान-स्थान से द्र तगामी रथों में सवार श्रीपाल की अन्य रानियाँ एक-एक कर आ पहुंची।
श्रीपाल के सभी सैनिक, सेवक तथा उसकी सारी सम्पत्ति भी शशांक के साथ शीघ्र ही कोल्लागपुर पहुँच गयी।
श्रीपाल की वे सब रानियाँ जब आपस में मिली तब ऐसा प्रतीत हुआ मानों कृष्णा-कावेरी-यमुना-शतद्र इत्यादि विभिन्न सरिताओं का संगम हो रहा हो।। ___ एक मंदाकिनी, मैनासुन्दरी शेष थी, जिसके समीप पहुँचने के लिए श्रीपाल अब पूर्णरूप से प्रस्तुत, बल्कि उत्सुक था ।
उचित अवसर देखकर उसने राजा पुरन्दर से विदा माँगी। राजा पुरन्दर ने भी परिस्थिति का विचार करके बड़े ही प्रेमपूर्वक अपनी बेटी के साथ श्रीपाल को आशी
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