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पुण्यपुरुष
है । बस, अब कल इस राजकुमारी की समस्या का समा. धान और हो जाय तो फिर चल पड़ें।" ___"चाहता तो मैं भी यही हूँ कि अब तनिक भी विलम्ब न हो । किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि आपको अभी एक छोटी-सी यात्रा और करनी पड़ेगी।"
"क्या मतलब ? अब और कौनसी मुसीबत तू अपने साथ ले आया है ?"
"मैं तो कोई मुसीबत आपके लिए क्यों लाने लगा ? किन्तु आते समय रास्ते में मैंने जो कुछ सुना है, उसे सुन कर मेरा विचार है कि एक यात्रा आपको और करनी ही पड़ेगी।"
"अरे साफ-साफ बता क्या बात है ?"
"मैंने सुना है कि इस कंचनपुर की उत्तर दिशा में कोल्लागपुर नामक एक नगर है। वहाँ पुरन्दर राजा की पुत्री जयसुन्दरी हठ ठाने बैठी है कि जो वीर पुरुष 'राधावेध' करेगा, उसी से वह विवाह करेगी अन्यथा वह आजन्म कुमारी ही रह जायगी।" ___ "तो इसमें मुझे क्या करना है ? मैं तो अब तेरे साथ घर लौटना चाहता हूँ। शीघ्र से शीघ्र । कल ही। राजकुमारी जयसुन्दरी को राजावेध करके विजित करने वाले अनेक वीर मिल जायेंगे........."
"नहीं मिल रहे हैं, यही तो रोना है । अनेकों अहंकारी
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