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पूर्वजन्मों में किये हुए पुण्यकर्मों के प्रभाव से अभी श्रीपाल को अपनी जीवन-संगिनियों के रूप में कुछ और ऐसे श्रेष्ठ नारी-रत्न प्राप्त होने थे जोकि उसके जीवन में अमृत का सिंचन कर सकें।
संयोग स्वतः ही जुड़ते चले जा रहे थे। ___ एक दिन श्रीपाल की एक प्रवासी से अचानक भेंट हो गई। सदा विचरण करते रहने वाले उस प्रवासी ने श्रीपाल को बताया-- - "यहाँ से कुछ ही दूरी पर दलपत्तन नामक एक नगर है । वह नगर तो दर्शनीय है ही, वहाँ की राजकुमारी भी अपनी शोभा और सौन्दर्य में निराली है। शोभा और सौन्दर्य ही नहीं, गुणों में भी वह किसी से कम नहीं है।"
इतना सुनकर श्रीपाल ने उस प्रवासी से पूछा
"यह सब ठीक होगा, किन्तु तुम किस उद्देश्य से मुझे यह बता रहे हो?"
"श्रीमान् ! मैं प्रवासी ठहरा । नये-नये स्थानों पर
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