________________
पुण्यपुरुष १५६ भी उदार महापुरुष होते हैं ? जिस नीच व्यक्ति ने उनके साथ इतने-इतने अत्याचार किए, उसी व्यक्ति को ये क्षमादान दिलाना चाहते हैं ? धन्य हैं ऐसे महापुरुष !
श्रीपाल ने पुनः राजा से कहा
"महाराज ! मेरी प्रार्थना स्वीकार कर लीजिये। इस धवल सेठ के अधिक न सही तो कुछ उपकार तो मुझ पर भी हैं ही। ये समुद्र यात्रा पर मुझे अपने साथ लाये थे। भले ही ये मेरे उपकारों को भूल गये हैं किन्तु मैं कैसे इनके उपकार को भूलूँ ? छोटे से छोटे उपकार को भी भूलना कृतघ्नता कहलाती है ।
"अतः राजन् ! आप अपने स्वच्छ और पवित्र हाथ इस को प्राण-दण्ड देकर कलुषित न कीजिए। इसे क्षमा कर दीजिए।"
राजा ने श्रीपाल की बात सुनी, कुछ सोचा और अन्त में उसने उसकी बात मान ही ली। आदेश दिया
"नीच धवल सेठ ! सत्य तो यह है कि तुम इस पृथ्वी पर रेंगने वाले असंख्य लघु कीटों से भी तुच्छ हो । तुम जैसे स्वार्थी, कृतघ्न और कामान्ध लोगों को इस पृथ्वी पर रहकर उसका भार व्यर्थ ही बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है । तुम्हारे लिए मृत्युदण्ड ही उचित है। किन्तु मैं इस महापुरुष, अपने जामाता श्रीपाल महाभाग की बात की टाल भी नहीं सकता हूँ, अतः तुम्हें क्षमा करता हूँ। जाओ, कल सूर्योदय होने से पूर्व मेरे राज्य,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org