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पुण्यपुरुष
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है ? आप किस कुल के हैं ? आपका वास्तविक परिचय क्या है ?" राजा ने श्रीपाल की ओर देखकर पूछा।
श्रीपाल तो तटस्थ भाव से मुस्कुरा रहा था। उसने कहा
"राजन् ! मैं आपके प्रश्न का क्या उत्तर दं? सभ्य और संस्कारी मनुष्य स्वयं अपने मुख से अपनी प्रशंसा नहीं किया करते । हाँ, यदि आप मेरी परीक्षा लेना चाहते हों तो ले लीजिए, अपनी समस्त सेना को शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित करके एक ओर खड़ी कर दीजिए। दूसरी ओर मैं अकेला केवल एक खड्ग लेकर ही रहूँगा। इस युद्ध के परिणाम से आपको स्वयं ही ज्ञात हो जायगा कि मैं किस कुल से उत्पन्न हूँ। ___ "किन्तु राजन् ! इसमें व्यर्थ ही बहुत सा रक्तपात हो जायगा। मैं नहीं चाहता कि मेरे हाथ से आपके अनेक सैनिक मारे जायें और उनके परिवार के लोग दुखी हों। अतः मैं आपको एक अन्य मार्ग बताता हूँ- इस धवल सेठ के शिविर में मेरी दो पत्नियाँ हैं-मदनसेना और मदनमंजूषा । उन्हें यहां बुला लीजिए। वे आपको आदि से अन्त तक सारी सत्य बात बता देंगी।"
राजा वसुपाल को यह बात ठीक लगी। उसने तुरन्त अपने सैनिकों को बुलाकर उन्हें समुद्र तट पर जाकर सुन्दर पालकियों में उन दोनों रानियों को ले आने का आदेश दिया।
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