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पुण्यपुरुव
राजा ने श्रीपाल से यह प्रश्न किया और इससे पूर्व कि वह कुछ उत्तर देता, राजा को अचानक उस नैमित्तिक की याद आई जिसने भविष्यवाणी की थी कि अमुक प्रकार से राजकुमारी का विवाह एक उत्तम पुरुष से होगा । उसकी याद आते ही राजा ने नैमित्तिक को तत्काल राजसभा में बुलवाया और उसे डाँटते हुए कहा
"क्यों जी, क्या तुम्हारा निमित्त ज्ञान यही है ? तुमने मेरी इकलौती बेटी का विवाह एक भाँड़ से करा दिया ? तुम्हें इसी समय शूली पर चढ़ाने की आज्ञा देता हूँ ।'
किन्तु वह नैमित्तिक तनिक भी विचलित नहीं हुआ । उसने शान्तिपूर्वक कहा
"महाराज ! आप शान्त हों, मुझे इस सारे काण्ड में किसी भयंकर षड्यन्त्र की गन्ध आ रही है । मेरा निमित्तशास्त्र झूठा नहीं है और मेरा निमित्तज्ञान भी अधूरा नहीं है । मैं विश्वासपूर्वक कहता हूँ कि महाभाग श्रीपाल परम उत्तम कुल के हैं तथा इनके जैसा पुण्यवान पुरुष आपको इस समय सारे आर्यावर्त में भी ढूंढ़े नहीं मिलेगा ।
"महाराज ! ये लोग तो भाँड़ हैं । मसखरी करना तथा झूठे झूठे नाटक रचना इनका पेशा है । इनकी बात क्या भरोसा ? आप स्वयं श्रीपाल महाराज से ही सत्य बात पूछिए ।"
"हाँ, श्रीपालजी ! कहिए कि यह सब क्या तमाशा
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