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पुण्यपुरुष १५३ यदि कुछ भी झूठ कहा तो तुम सबको, एक-एक को, शूली पर चढ़ा दूंगा।"
राजा की यह भीषण डाँट खाकर भी भंडराज धबराया नहीं । वह घुटा हुआ नट था। घाट-घाट का पानी पिये हुए था । उसने बड़े ही सहज भाव से उत्तर दिया
"महाराज ! यह मेरा बेटा चांगला है। पता नहीं अब इसने अपना क्या नाम रख लिया है और कैसे यह आपके पास पहुँच गया और कैसे इसने आपको धोखा देकर राजकुमारीजी से ब्याह भी कर लिया। किन्तु हमारे-माँ-बाप के दिल से पूछिए, इसके बिछुड़ने से हम कितने दुःखी हुए हैं । और अब जब आज यह हमें मिल गया है तो हमें पहिचानता ही नहीं। हे भगवान ! तेरी लीला भी विचित्र है।" -कहता हुआ भंडराज फिर मगरमच्छ के आँसू बहाने लगा।
राजा बड़ा दुखी था । सोच रहा था कि यदि यह बात सत्य है तो उसने अपनी प्यारी बेटी का विवाह एक नीच कुलीन भाँड़ से कर दिया। अब बेटी का भविष्य क्या होगा?
यही सोचते हुए उसने श्रीपाल से कहा__ "महाभाग ! मैं यह क्या देख रहा हूँ ? क्या सुन रहा हूँ। आप कुछ बोल नहीं रहे हैं, तो क्या यह बात सत्य है ? क्या आपने हमें इतना बड़ा धोखा दिया है ? सचसच बताइये।"
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