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________________ १४२ पुण्यपुरुष पड़ेगा। हमें विश्वास है कि हमारे पुण्यवान पतिदेव का कोई अनिष्ट नहीं हो सकता, वे एक न एक दिन हमें अवश्य मिलेंगे। तुम यहाँ से इसी क्षण चले जाओ।" किन्तु धवल सेठ के सिर पर तो भूत सवार था। वह उन दोनों युवती रानियों के सुन्दर शरीर को देख रहा था और वासना से जला जा रहा था। उसके मन पर रानियों के वचनों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह धीरेधीरे रानियों की ओर बढ़ने लगा........।। ठीक उसी समय बादलों की घनघोर गर्जना हुई। सैकड़ों बिजलियाँ चमकने लगीं। समुद्र में भीषण तूफान के लक्षण प्रकट हुए। अन्धकार छाने लगा। जलयान कागज की नावों के समान डोलने लगे। ___ यह दृश्य और यह स्थिति देखकर सभी घबरा गये। उसी समय उस यान पर एक क्षेत्रपाल प्रकट हुआ। उसके पीछे बावन वीरों की सेना थी। सब लोग चकित होकर यह दृश्य देख ही रहे थे कि वहां स्वयं चक्रेश्वरी देवी प्रकट हुई। उन्होंने प्रकट होते ही धवल सेठ को बुरे मार्ग पर धकेलने वाले उस चौथे मित्र का काम तमाम कर दिया। यह सब देखकर धवल सेठ दौड़कर रानियों के चरणों में गिरकर 'त्राहि-त्राहि' पुकारने लगा। चक्रेश्वरी देवी ने अपने धन-गम्भीर स्वर में कहा "पापी धवल सेठ ! तू सतियों की शरण में पहुँच गया है, अतः इस बार तुझे क्षमा करती हूँ। किन्तु यदि भविष्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003183
Book TitlePunya Purush
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1980
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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