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१३६ पुण्यपुरुष था तो प्रदेश के निवासी ही होते ही, राजा भी होता, सैनिक भी होते-आश्चर्य तो उसे इस बात हुआ कि वे उसके प्रति इतना सम्मान कैसे प्रदर्शित कर रहे थे।
उन सैनिकों के नायक ने आगे बढ़कर, हाथ जोड़कर श्रीपाल से कहा
"महाभाग ! यह कोंकण देश है। इस देश के स्वामी हैं महाराज वसुपाल। हम उन्हीं के सैनिक-सेवक हैं। किन्तु आप सोचते होंगे कि इससे आपका क्या सम्बन्ध है ? वस्तुतः बात यह है कि कुछ समय पूर्व राजसभा में उपस्थित एक नैमित्तिक से हमारे महाराज ने पूछा था कि यदि आपका निमित्त-शास्त्र सत्य है, तथा आप उसके ज्ञाता हैं, तो बताइए कि राजकुमारी मदनमंजरी का पति कौन होगा? वह कहाँ और कब मिलेगा? ___"हे महाभाग ! तब उस नैमित्तिक ने भविष्य-कथन किया था कि वैशाख शुक्ला दशमी के दिन, ढाई प्रहर दिन चढ़ने पर यदि आप समुद्र के किनारे पर खोजेंगे तो एक परम पुण्यवान, परम तेजस्वी युवक आपको एक चम्पक वृक्ष के नीचे सोया हुआ मिलेगा। वही पुण्यवान पुरुष राजकुमारीजी का पति होगा।
"श्रीमान् ! आज वही वैशाख शुक्ला दशमी का दिन है । राजा की आज्ञा से हम आपको खोजते हुए यहाँ आये
और उस नैमित्तिक की बात सत्य निकली। इस चम्पक वृक्ष के नीचे निर्धारित तिथि एवं समय पर आप हमें सोये
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