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१२८ पुण्यपुरुष ने संकेत किया था और उस मृत सिंह के शीश और धड़ को देखा। वे चकित रह गये। कुछ-कुछ अनुमान उन्हें घटना का हुआ और तथ्य से पूर्णतया अवगत होने के लिए उन्होंने महाश्वेता से पूछा____ "क्या हुआ था महाश्वेता? जल्दी से मुझे सारी बात बता।"
तब महाश्वेता ने आदि से अन्त तक सारी घटना का वर्णन किया। उसे सुनकर राजा कनककेतु भावविभोर हो गए। तुरन्त अपने अश्व से नीचे कूदकर उन्होंने अपनी बेटी को आलिंगन में भरते हुए कहा
"प्यारी बच्ची ! तू बच गई ! भगवान को लाख-लाख धन्यवाद ! तुझे कोई चोट तो नहीं लगी ? अब तू पूर्णतया स्वस्थ है न?"
"हां पिताजी, आप चिन्ता न करें। किन्तु ये.......।"
इससे आगे वह फिर कुछ न बोल सकी। केवल श्रीपाल की ओर उसकी चितवन का संकेत ही जा सका। राजा को तुरन्त अब ध्यान आया श्रीपाल का और उसके प्रति उन्होंने जो अन्याय किया था, बिना सोचे-समझे, उसके लिए उन्हें घोर पश्चात्ताप हुआ।
मुड़कर वे शीघ्र श्रीपाल की ओर गये। श्रीपाल मुस्कुराता हुआ शान्त-भाव से अपने अश्व से नीचे उतर कर खड़ा था।
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