________________
१२२ पुण्यपुरुष
राजकुमारी उठी और उसने महाश्वेता के गले में अपना हाथ डाल दिया । बोली
TH
"हे भगवान ! क्या मैं सचमुच जीवित हूँ ? अरी महाश्वेता ! तू भी जीवित है ? तुम सब जीवित हो ? अरे, अरे, " मैंने तो अभी-अभी देखा था कि मैं स्वर्ग में हूँ, और मेरे सामने.........मेरे सामने कोई अनुपम सौन्दर्यवान 'देवद्वैत बैठा है ।"
•
यह सुनकर सब सखियाँ खिलखिलाकर हंस पड़ी राजकुमारी चकित होकर उन सबका मुँह देखने लगी और फिर बोली
FIRS
"अरी दुष्टाओ ! तुम हँसती क्यों हो ? क्या में झूठ कहती हूँ ? मैंने अभी-अभी, अपनी इन्हीं आँखों से उस देवदूत को देखा ......."
अपनी प्यारी सखी को छेड़ने के लिए महाश्वेता ने कहा
"हाँ जी, तुमने जिस देवदूत को देखा उसकी आँख अति सुन्दर, बड़ी-बड़ी थीं न........?"
Jain Education International
•
“हाँ, हाँ........।”
" और उसका मुखमण्डल भव्य था न ?"
“EŤ S SS 1"
" और उसका विशाल वक्ष किसी हिम-धवल चद्रांत, जैसा दृढ़ था न ?"
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org