________________
Sh
कुछ दिन व्यतीत हो जाने के बाद एक दिन धवल सेठ ने श्रीपाल से कहा
न
" महोदय ! आपके जैसा पुण्यवान और भाग्यवान पुरुष संसार में बिरला ही होता है । आप जहाँ भी जाते हैं वहीं ऋद्धि-सिद्धि आपके पीछे चलती हैं । इस द्वीप में आकर आपको मदनसेना जैसी सुन्दरी राजकुमारी तथा बहुत धनराशि प्राप्त हुई है। मेरी पंचशत नौकाओं में से आधी नोकाएँ तथा उनमें भरी हुई व्यापार - सामग्री भी आपकी ही है। मैंने जिन सैनिकों को निकम्मा समझकर अपनी सेना से हटा दिया था, उन दस सहस्र सैनिकों को भी अच्छे वेतन पर आपने अपनी सेवा में रख लिया है । यह सब तो हुआ, किन्तु, महोदय ! अब हमें अपनी यात्रा पर आगे बढ़ना चाहिए ।"
श्रीपाल ने धवल सेठ की इस बात को उचित समझा और बब्बर कुलनरेश राजा महाकाल से मिलकर कहा" राजन् ! अब हमें काफी समय यहाँ रहते हुए हो गया
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org