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पुण्यपुरुष ६३ के वासी हैं ? वे कहाँ के राजा हैं ? क्योंकि ऐसा देवात्मा पुरुष राजा चक्रवर्ती से कम तो हो नहीं सकता और जब ऐसा है तब इतने दिन हो गए, क्या श्रीपाल महाराज को अपने राज्य की कोई चिन्ता-फिकर नहीं हुई ?" ___कहने वाले व्यक्ति के स्वर में सम्मान तथा मीठा व्यंग्य दोनों ही मिश्रित थे। शशांक तुरन्त समझ गया कि इन लोगों को घर-जमाई जैसी बातें ही खटक रही हैं । उसने उत्तर दिया___"भाइयो ! आप लोगों की जिज्ञासा स्वाभाविक है। मैं इसे इसी क्षण शान्त किये देता हूँ-श्रीपाल महाराज चम्पानगरी के अधिपति हैं और महारानी कमलप्रभा तो उनकी माता हैं ही । कहिए, आप लोगों की जिज्ञासा शान्त हुई या नहीं?"
सब लोगों ने अपने-अपने सिर मौन रहकर स्वीकार में हिलाये । किन्तु जिन परिस्थितियों में श्रीपाल का आगमन उज्जयिनी में हुआ था और उसके बाद जो जो घटना घटित हुई थीं, उनका विचार अब भी उनके मस्तिष्क में चक्कर काट रहा था-चम्पानगरी का राजा, समृद्ध चम्पा नगरी का अधिपति, और कोढ़ी ? कोढ़ियों का राजा? यह कैसी उलझन है ?
लोगों की इस समस्या को शशांक ने समझा और कहा
"देखो भाइयो ! बहुत सी बातें ऐसी होती हैं जो अपने
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