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६२ पुण्यपुरुष सुनें तो सही कि वह कौनसी बात है तो तुम्हारी समझ के चौखटे में फिट नहीं हो पा रही है ?" दूसरे ने पूछा।
पहले वाले व्यक्ति ने कहा
"इसमें कोई शक नहीं कि श्रीपाल पुण्यात्मा हैं। मैनासुन्दरी भी परम धार्मिक तथा गुणशीला है। उनकी माताजी भी महामना प्रतीत होती हैं। किन्तु तुक जहाँ नहीं बैठ रही है वह यह कि आखिर ये लोग हैं कौन ? यानी श्रीपाल महाराजा और उनकी माता कौन हैं । बोलो, तुममें से किसी को कुछ है अता-पता ? बोलो ? ___यह प्रश्न सुनकर सब चुप हो गए। अब तक किसी ने इस प्रश्न पर कोई विचार किया ही नहीं था।
उसी समय शशांक कहीं से घूमता-फिरता वहाँ आ पहुँचा। उसे लोगों ने अब श्रीपाल के दाहिने हाथ के रूप में जान-समझ लिया था। अवसर देखकर एक व्यक्ति ने साहस करके उससे पूछ ही लिया
'नायकजी ! आओ आओ, बैठो। हम लोग एक गुत्थी सुलझा रहे हैं और वह सुलझ ही नहीं रही। आप इसमें हमारी कुछ सहायता कीजिए।"
शशांक शान्ति से बैठ गया और उसने कहा"कहिए, क्या कष्ट है ?"
"अजी, कष्ट तो कोई नहीं, बस जिज्ञासा भर है। हम लोग यह जानना चाहते हैं कि महाराजा श्रीपाल किस देश
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