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१३, नियमनिष्ठा का चमत्कार
कम्पिलपुर नामक नगर में रिपुमर्दन नाम का धर्मनिष्ठ और प्रजावत्सल राजा राज्य करता था। उसी नगर में अकिंचन नाम का एक लकड़हारा भी था। नगर में और भी बहुत लकड़हारे थे, उनमें से एक अकिंचन भी था । अकिंचन की दिनचर्या थी-प्रातः उठकर साथी लकड़हारों के साथ जंगल जाना, दिनभर लकड़ियाँ काटना
और शाम होने पर लकड़ियों का गट्ठर बेचकर आटादाल खरीदकर अपना पेट भरना और सो जाना। __एक दिन अकिंचन नित्य की तरह कन्धे पर कुल्हाड़ी और हाथ में रस्सी लिए जंगल की ओर जा रहा था। तभी उसे एक मुनि के दर्शन हुए । अकिंचन ने मुनि की वन्दना की। मुनि ने आशीर्वाद देते हुए अकिंचन से पूछा
"भाई ! जीवन एक-एक मिनट, एक-एक दिन और एक-एक वर्ष करके यों ही बीता जा रहा है। कुछ धर्मकर्म भी करते हो या नहीं ?"
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