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१२ दमसार-शम-सार
बड़ी-बड़ी मनौतियों, अनुष्ठानों और बड़ी आयु में कृतांगनगरी के राजा सिंहरथ को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। महारानी सुनन्दा की गोद भर गई और नगर को युवराज की प्राप्ति हो गई। राजकुमार का नाम रखा गया दमसार । कहावत हैकुल सपूत जान्यौ पर, लखि सुभ लच्छन गात । होनहार विरवान के, होत चोकने पात ॥
राजकुमार दमसार मेधावी और प्रतिभावान था। शीघ्र हो वह सभी विद्या-कलाओं में पारंगत हो गया। होनहार और सपूत पुत्र को पाकर कौन पिता हर्षित न हागा। दमसार विवाह-योग्य हुआ तो राजा सिंहरथ ने राजकन्याओं का निरीक्षण करना शुरू कर दिया।
राजकुमार दमसार में वैराग्य का वोज था । जब उसने वीर प्रभु की अमृत वाणी सुनी तो उनके वचनों के सुधा-वारि से उसका वैराग्य बीज अंकुरित हो गया और
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