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क्षमा और क्रोध का द्वन्द्व
[मुनि स्कन्दकुमार
लाखों वर्ष पूर्व जितशत्रु श्रावस्ती नगरी का प्रजावत्सल और धर्मपरायण शासक था। धर्मसंगिनी राजमहिषी धारिणी की कोख से उत्पन्न राजा जितशत्रु के स्कन्दकुमार नाम का एक पुत्र और पुरन्दरयशा नाम की एक पुत्री थी । पुरन्दरयशा स्कन्दकुमार से बड़ी थी। दोनों बहन-भाइयों में बहुत प्रेम था। विवाह योग्य होने पर राजा जितशत्रु ने राजकुमारी पुरन्दरयशा का विवाह कुम्भकारकटक नगर के राजा दण्डक से कर दिया।
कुम्भकारकटक का राजा स्वयं तो धर्म प्रेमी शासक था, लेकिन उसका पुरोहित पालक घोर नास्तिक, दम्भो और साधु-महात्माओं का विरोधी था। एक बार राजा दण्डक ने पुरोहित पालक को श्रावस्ती नगरी-अपनी सुसराल भेजा। राजा जितशत्रु का दरवार लगा था। जैनतत्त्वों का मर्मज्ञ महान धर्मात्मा राजकुमार स्कन्द भी दरबार में उपस्थित था। दरबार में धर्म-चर्चा हो रही
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