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परीक्षा | ४५
समझकर त्याग दिया है, अब आप उन्हीं को पुनः ग्रहण करके क्या श्वान और कौवों से भी हीन बनना चाहते हैं ? मैं आपको इस पतन से रोकना चाहती हूँ।" ।
मुनि की आंखें खुल गईं। उन्होंने अपने पाप का प्रायश्चित्त किया और वहीं से स्थूलभद्र को प्रणाम करते हुए कहा--"मुनि स्थूलभद्र ही श्रेष्ठ मुनि हैं। महान दुष्कर कार्य करने वाले हैं । गुरुदेव का कथन सत्य है।"
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