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परीक्षा | ४१
पाटलिपुत्र आए । चातुर्मास का समय समीप था । यह जानकर तथा पाटलिपुत्र के लोगों का आग्रह स्वीकार करके उनके गुरु ने चातुर्मास वहीं करने का निश्चय किया ।
चार मुनियों ने अपने गुरु के समीप आकर चार भिन्नभिन्न स्थानों पर चातुर्मास करने की इच्छा प्रकट की । एक मुनि ने सिंह की गुफा में, दूसरे ने सर्प के बिल पर तीसरे ने कुएँ की मेंड़ पर और चौथे, स्थूलभद्र ने, कोशा वेश्या के घर चातुर्मास करने की आज्ञा माँगी ।
आज्ञा मिल गई । परीक्षा आरम्भ हो गई ।
कोशा ने जब सुना कि स्थूलभद्र उसके घर पर रहकर चातुर्मास व्यतीत करेंगे, तब वह परम हर्षित हुई । उसकी आँखों में अभी तक वही अतीत घूम रहा था जब वह स्थूलभद्र के साथ प्रेम विहार किया करती थी । पागल प्रेमिका यह नहीं जानती थी कि उस अतीत और इस वर्तमान में कितना अन्तर आ चुका था ? उसके हृदय में पुराने स्वप्न तिर रहे थे ।
मुनि स्थूलभद्र ने कोशा से उसके घर में ठहरने की आशा माँगी। कोशा ने उन्हें अपनी चित्रशाला में ठहरने की आज्ञा दे दी । उसके हर्ष, उल्लास और आनन्द की कोई सीमा ही न थी ।
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कोशा ने मुनि को अपने पुराने प्रेम की याद दिलाने का प्रयत्न किया, साज-श्रृंगार करके अपने रूप पर लुभाने
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