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अपने पैरों आप कुल्हाड़ी
नलिनीवन नामक सुन्दर उद्यान में मुनि धर्मघोष आकर ठहरे थे। यह उद्यान पुण्डरीकिणी नामक नगरी के बाहर था । वहाँ का राजा महापद्म बड़ा विवेकवान था। मुनि के आगमन का समाचार सुनकर वह सपरिवार उनके दर्शन करने गया। ___मुनि के उपदेश का ऐसा प्रभाव राजा पर हुआ कि उसने राजपाट त्याग कर दीक्षा ग्रहण करने का निश्चय कर लिया। उसको रानी पद्मावती ने भी इस शुभ कार्य में कोई आपत्ति नहीं की। उसने कहा___"स्वामी ! आपके बिना मेरा जीवन नीरस हो जायगा। किन्तु आपकी भावना उच्च है, पवित्र है। अत: इस कार्य में आप मुझे बाधक न मानें ।" - राजा ने अपने युवराज पुण्डरीक का राज्याभषेक किया और दीक्षा ग्रहण कर ली। बहुत समय तक तपस्यामय जीवन व्यतीत करते हुएँ अन्त में उन्होंने सिद्धि प्राप्त की।
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