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बुद्धि का चमत्कार | १६ कोई भी राजा हो उससे अपने को क्या लेना-देना ? आप व्यर्थ ही राजनीति में क्यों उलझ रहे हैं। राजा चाहे जो हो, अपने कार्य में तो कोई भी अन्तर पड़ने वाला नहीं है। आप तो दृश्य देखते चले जाइए कि क्या होता है।
दन्तिल ने मुस्कराते हुए कहा--तू कायर है, यहाँ पर अपनी बात कौन सुनता है ? आस-पास में तो कोई भी व्यक्ति दिखाई नहीं देता। _____ महतरानी--भले ही कोई भी दिखाई नहीं देता हो, किन्तु कहते हैं कि दीवारों के भी कान होते हैं। कोई सुन लेगा तो अपने को मुश्किल हो जायेगी।
राजा शौचादि से निवृत्त होकर गवाक्ष में खड़ा हुआ नगर को निहार रहा था कि उसके कानों में हरिजन दम्पत्ति की बातों की ध्वनि गिरी । उसने ध्यानपूर्वक उसे सुना। उसे क्रोध आ गया। भावी चिन्ताओं की कल्पनाओं से ही वह काँप उठा । प्रधानमन्त्री के कृत्यों पर उसे विचार आया। क्या दन्तिल का कथन सत्य है ? सत्य-तथ्य के परिज्ञान हेतु राजा ने अपने निजी गुप्तचरों को प्रधानमन्त्री के आवास पर भेजा। उन्होंने आकर जो बताया उससे राजा को दन्तिल के कथन पर पूर्ण विश्वास हो गया। राजा ने शीघ्र ही कार्यवाही प्रारम्भ की और प्रधानमन्त्री को बन्दी बनाकर कारागृह में बन्द कर दिया। प्रधानमन्त्री के तो तोते ही उड़ गये । पुत्र के विवाह की सारी खुशियाँ गायब
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