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नारी नहीं, नारायणी | गया। मैं जिसके पीछे दीवाना बना हुआ हूँ, वह मुझे चाहती भी नहीं है । वह गृहस्थ होते हुए भी साधना में कितनी दृढ़ है और मैं साधु होकर भी च्युत होने जा रहा हूँ, धिक्कार है मुझे ! उनका विवेक जाग्रत हो गया, अँधेरे में भटकते हुए उन्हें प्रकाश मिल गया। उनके हृदयतन्त्री के तार झनझना उठे-नारी हो तो ऐसी हो जो पतित का भी उद्धार कर दे, गिरते हुए को उठा दे, मुर्दे में जीवन का संचार कर दे। वस्तुतः नागला नारी नहीं नारायणी है, मेरी सद्गुरुणी है, इसने पहले भी मुझे संयमग्रहण की प्रेरणा दी और आज भी संयम में दृढ़ रहने की प्रेरणा दे रही है। मैं इसके उपकार को जीवन भर कभी भी नहीं भूलूगा। ___ वे वहाँ से चल दिये । उत्कृष्ट तप-जप की साधना से जीवन को चमकाने के लिए।
-- परिशिष्ट पर्व -~-जम्बू चरित्र
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