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१२४ | सोना और सुगन्ध
व्यापारी को पुत्र की बात से कुछ आशा बैंधी। प्रसन्न होकर बोला
"इससे अच्छी क्या बात है ? भाव की कोई दिक्कत नहीं। हमारी दुकान में दो ही तो चीजें हैं-वी और तम्बाकू । दोनों का एक ही भाव है। भाव याद रखने में तुझे कुछ दिक्कत न होगी।"
व्यापारी ने इतना और कहा__ "हाँ, एक बात का ध्यान रखना । जब तक खुले टीनों का माल समाप्त न हो जाय, तब तक बन्द टीनों को मत खोलना।" ... व्यापारी गाँव चला गया और उसका लड़का दुकान पर आ बैठा । लड़के ने दुकान का निरीक्षण किया। दुकान में सील बन्द टीनों को तो उसने यों ही रहने दिया। उसने दो खुले टीन देखे । दोनों आधे-आधे घी और तम्बाकू से भरे थे । सेठ के पुत्र ने सोचा___'पिताजी मुझे मूर्ख समझते हैं, पर अपनी मूर्खता नहीं देखते । आज मैं उन्हें अपनी बुद्धिमानी से चमत्कृत कर दूंगा। उन्होंने एक ही भाव की दो चीजों के लिए दो टीन घेर रखे हैं। घी-तम्बाकू एक ही टीन में आ सकते हैं। एक टीन आधे घी से बेकार घिरा है।'
यह सोच सेठ के लड़के ने घी से आधा भरा टीन तम्बाकू के आधे खाली टीन में उडेल दिया और मन-ही
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