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१२२ ) सोना और सुगन्ध
शेर बन्दर की बातों में आ गया और अट्टहास करके ऐसा हँसा कि सारा जंगल गूंज उठा। बन्दर शेर के मुंह से छूट गया और उछलकर पेड़ पर जा बैठा। शेर देखता रह गया । शेर को देखकर बन्दर फूट-फूट कर रोने लगा। शेर ने पूछा
"बन्दर ! तेरे हंसने का रहस्य तो मैं जान गया कि तू बन्धन-मुक्त होने के लिए हँसा था। पर अब जबकि तू काल के गाल से मुक्त हो गया है, तुझे हँसना चाहिए; फिर भी तू फूट-फूट कर रो रहा है। तेरे रोने का रहस्य क्या है ?"
बन्दर ने कहा
"मैं यह देखकर रो रहा हूँ कि अब संसार में तुझ जैसे साधु पैदा हो गये हैं। यह ढोंग और पाखण्ड देखकर मुझे रोना आ रहा है।"
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