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रानी ने कहा - 'प्रिय ! मैं आपके हित की बात लेकर आयी हूं, पर मेरे सामने एक धर्म-संकट है ।'
'धर्म-संकट ..?'
'हां, यदि मैं वह बात गुप्त रखती हूं तो मेरे स्वामी का अहित होता है और उसे करती हूं तो मेरे पर अनेक लांछन लगाए जाते हैं परन्तु खूब सोच-विचारकर मैंने यह निश्चय किया है कि मेरे पर भले ही आरोपों का पहाड़ टूट पड़े, किन्तु स्वामी के कल्याण की उपेक्षा एक सन्नारी कभी नहीं कर सकती ।'
'प्रिये ! मैं समझा नहीं। ऐसा क्या घटित हो गया ? क्या किसी ने तेरा अपमान किया है ?'
'नहीं, प्रभो ! आपके राज्य को हड़पने का एक षड्यन्त्र रचा गया है।' 'कनकावती ! यह तू क्या कह रही है ? हमने ऐसा कुछ जाना ही नहीं और तू''''
'मुझे ज्ञात हो गया है, क्योंकि मैं आपकी धर्मपत्नी हूं..! '
'ऐसा षड्यन्त्र करने वाला नराधम कौन है ?"
'मैं नाम नहीं बताऊंगी। आप स्वयं उसको ढूंढ़ निकालें। एक बार पहले मैंने नाम बताया था और तब जो मेरी दुर्दशा हुई थी उसे मैं अभी तक विस्मृत नहीं कर पायी हूं ।'
'नहीं, प्रिये ! यदि तू जानती है तो मुक्त मन से सारी बात बता । संशय मत रख ।' राजा ने अभय देते हुए कहा ।
रानी कनकावती ने गंभीर होकर कहा - 'कृपानाथ ! पिछले तीन दिनों से मैं एक कुतूहल देख रही हूं प्रतिदिन एक पुरुष राजभवन में आता है और रज्जु के सहारे मलया के खंड में जाता है "यह देखकर मेरा कुतूहल बढ़ा और तब मैंने मलया के कक्ष-द्वार पर जाकर देखा, सुना । मैंने जो कुछ सुना है, वह बहुत ही भयंकर और विस्फोटक है ।'
राजा के नयन लाल हो गए। उसका शरीर कांप उठा । उसने कहा'बोल, वह भयंकर बात मुझे सुना ।'
'आपके मित्र पृथ्वीस्थानपुर के महाराजा के युवराज महाबल स्वयंवर के समय अपने साथ बड़ी सेना लेकर आएंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने अनेक राजाओं को अपने पक्ष में कर लिया है । वे सब राजा स्वयंयर के समय आएंगे । उस समय महाबल अपनी शक्ति से पूरे राज परिवार की हत्या कर राजगद्दी को हड़प लेंगे । वे मलया को महारानी बनाएंगे। यह योजना गुप्तरूप में की जा रही है दूत और मलया के बीच जो बात हुई है, वह यह है "मेरे कथन की सत्यता का एक पुरजोर प्रमाण भी है।'
महाबल मलयासुन्दरी
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