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चुकी थी। ____ महाराज वीरधवल ने दूर-दूर के राजाओं को निमंत्रण दे दिए थे। अंत में अपने परममित्र पृथ्वीस्थानपुर के राजा सुरपाल को संदेश अपने विशिष्ट दूत द्वारा भेजा और स्वयंवर में आने का भावभरा आग्रह किया। महाराज वीरधवल ने महाराजा सुरपाल से यह अनुरोध किया कि इस अवसर पर युवराज महाबल को अवश्य भेजें। __दूत ने शक्ति-परीक्षण का विस्तार से ब्यौरा प्रस्तुत किया और वहां उपस्थित होने का आग्रह किया।
दूत के शब्दों से सभा हर्षित हो उठी।
महाराजा सुरपाल ने महाबल की ओर देखकर कहा-'महाबल ! तैयार हो?
'आपकी आज्ञा और आशीर्वाद से मैं आपकी कुल-परंपरा की मर्यादा को अक्षुण्ण रखंगा।'महाबल ने कहा।
महाराजा ने दूत को पारितोषिक देकर विदाई दी। दूत प्रणाम कर चला गया ।
७४ महाबल मलयासुन्दरी
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