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________________ राजपरिवार मलया के स्वयंवर की बात से प्रसन्न था, और वह इसलिए कि मलया अपने मनपसन्द वर को चुन पाएगी, जिससे उसका मन समाहित और शान्त रहेगा। पर.. रानी कनकावती का विष उसको व्यथित कर रहा था। वह अपने तिरस्कार को भूल नहीं पा रही थी। अन्यान्य लोग उसे भूल चुके थे, पर रानी कनकावती उसकी आग में झुलस रही थी। उसने सोमा को बुलाकर कहा-'सोमा ! बाहरी आग को सहा जा सकता है, पर भीतरी आग को नहीं सहा जा सकता।' सोमा बोली-'महादेवी ! जल्दबाजी न करें। सब कुछ समय पर होगा।' 'सोमा ! मैं यदि निश्चेष्ट बैठी रहूंगी तो कल स्वयंवर हो जाएगा, मलया ससुराल चली जाएगी और फिर मैं अपनी ही आग में जल मरूंगी।' ____ 'महादेवी ! मुझे ऐसा लगता है कि हमें कुछ समय तक और प्रतीक्षा करनी चाहिए । बिना अवसर के कार्य पूर्ण नहीं होता।' 'सोमा ! यह सब मैं जानती हूं। तू एक काम कर। किसी विष-वैद्य से विष ला दे।' 'देवी! फिर क्या करेंगी?' । __ जिसको देखकर मेरे मन की आग भभकती है, उसका मैं विनाश कर दूंगी।' __ 'महादेवी ! कोई भी विष-वैद्य बिना परिचय के विष नहीं देगा और वह इस बात की नोंध रखेगा कि कौन कब विष ले गया है। और एक बात है कि राजकुमारी की मृत्यु से आग बुझेगी नहीं, वह और अधिक भड़केगी। अपमान का बदला इस प्रकार लेना चाहिए कि राजकुमारी के भाल पर कलंक का टीका निकले और वह जीवन भर उस कलंक की आग में झुलसती रहे। विष-प्रयोग की बात छिपी नहीं रहेगी और फिर जब सारा रहस्य खुलेगा तब क्या...?' ___ तो क्या मैं निरन्तर जलती ही रहूं?' 'महादेवी ! अंगारे को संजोए रखें। उसको फंक न मारें। जब अवसर आएगा तब सब कुछ हो जाएगा।'सोमा ने कहा। कनकावती ने सोमा की बात मान ली। पन्द्रह दिन बीत गए । अब स्वयंवर के समारोह में केवल तीस दिन शेष रह गए थे। स्वयंवर-मंडप की रचना हो चुकी थी। सारा नगर सजाया जा रहा था। आमंत्रित राजाओं के रहने के लिए अनेक गृह-प्रासाद संवारे जा रहे थे । अनेक चित्रकार लाये गए थे। स्थान-स्थान पर चित्रकला-वीथियों का निर्माण हो रहा था । मलया के लिए वस्त्र-आभूषण और अन्यान्य सामग्री दूर-दूर देशों से आ महाबल मलयासुन्दरी ७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003181
Book TitleMahabal Malayasundari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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