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'मैं अभी उससे मिलना चाहता हूं।'
'हां, श्रीमन् ! मैं व्यवस्था करती हूं।' अमिला ऊपर के खंड में गई और बोली-'सेठजी पधारे हैं।'
मलया ने अपने वस्त्र ठीक किए और फर्श पर बैठ गई। सेठजी ने खंड में प्रवेश किया। मलया ने नमस्कार किया। कुशलक्षेम पूछने के पश्चात् बलसार बोला--'प्रिये ! जब से मैंने तुझे देखा है मैंने यह दृढ़ संकल्प कर लिया है कि मैं तुझे अपनी प्रियतमा बनाऊंगा। इतने दिनों तक मैंने धैर्य रखा है। अब मेरे धैर्य का बांध टूट गया है। देवी ! मेरी बात मानकर मेरे अटूट ऐश्वर्य की स्वामिनी बनने के लिए तैयार हो जा। मैं तुझे सोने से तोलूंगा। अलंकारों से लाद दूंगा और स्वर्गीय सुखों को पृथ्वी पर उत्पन्न कर दूंगा। आज तू निःसंकोच भाव से समर्पण कर और अपनी शालीनता का परिचय दे।' _ 'सेठजी ! परनारी को कुदृष्टि से देखना महान् पाप है। किसी पतिव्रता नारी का शील भंग करना महान् पातक है। आप यहां से चले जाएं, मैं अपना मार्ग स्वयं खोज लूंगी।' _ 'मलया! मैंने तेरा मार्ग स्वयं खोज लिया है। मैं तुझे अपनी अंकशायिनी बनाए बिना अब नहीं रह सकता।' बलसार मलया की ओर बढ़ा।
मलया ने तेज आवाज में कहा-सार्थवाह ! वहीं खड़े रह जाओ। आगे मत बढ़ो। तुम्हें सती के सतीत्व का भान नहीं है । मैं अपने शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगी पर अपने शील को सुरक्षित रखेंगी। समझे?'
'क्या यह तेरा अंतिम उत्तर है ?'
'हां...'
'इसका अर्थ यह है कि मुझे तेरे पर बलात्कार करना होगा। मलया, तुझे तेरे शील का गर्व है तो मुझे मेरी संपत्ति का गर्व है। मेरे ऐश्वर्य की चमकदमक के आगे तेरे जैसी हजारों रूपसियां न्यौछावर हो जाती हैं।'
बीच में ही मलया बोल पड़ी-'वे कुलीन नारियां नहीं, बाजारू स्त्रियां होती हैं । कोई भी आर्य नारी संपत्ति की चकाचौंध में नहीं फंसती।'
'मलया ! इसी क्षण मैं अपनी पिपासा पूरी करूंगा।' बलसार आगे बढ़ा और मलया का हाथ पकड़ लिया।
मलया ने झटके से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा-'नराधम ! लज्जा नहीं आती तुझे ! दुष्ट ! पापी ! ले, मैं तुझे स्वाद चखाती हूं।' यह कहती हुई मलया ने उसके गाल पर तमाचा मारा और उसकी असह्य वेदना से बलसार नीचे लुढ़क गया।
_ 'मलया ! मैं स्त्री पर हाथ उठाना नहीं चाहता । तूने मुझे तमाचा नहीं मारा है, अपने भाग्य पर तमाचा मारा है। इसका भयंकर परिणाम तुझे भुगतना
२४८ महाबल मलयासुन्दरी
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