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चुके थे। उसने पल्लीपति को शरणागत हो जाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था | आज अंतिम दिन था । यदि आज पल्लीपति शरणागत नहीं होगा तो कल प्रातःकाल महाबल उसकी नगरी पर धावा बोलकर नष्ट-भ्रष्ट कर देगा ।
महाबल को यह कल्पना भी नहीं थी कि उसकी प्रियतमा मलयासुंदरी के सुख में आग लगाने का कार्य उसकी अपरमाता कनकावती कर चुकी है ।
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महाबल मलयासुन्दरी २१५
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