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________________ ३६. कौन सही ? मलया ने अपना नाम सुंदरसेन बताया। दोनों सैनिक राजभवन में पहुंचे । मध्याह्न अभी हुआ नहीं था। सारा राजप्रासाद शोकाकुल था । महादेवी पद्मावती और महाराजा सुरपाल आत्मदाह की तैयारी कर नगर के बाहर जाने के लिए तैयार खड़े थे। सारा नगर शोकाकुल था। सभी मंत्री और परिजन महाराजा से बार-बार प्रार्थना कर रहे थे और पुनश्चिन्तन के लिए कह रहे थे। पर महाराजा अपने प्रण पर अटल थे। इतने में ही महामंत्री ने जाकर महाराजा से निवेदन किया-'महाराजश्री! युवराज के कुछ समाचार प्राप्त हुए हैं.. अपने सैनिक एक नौजवान को पकड़कर लाये हैं । वह युवक युवराज के वस्त्र पहने हुए है और उसकी अंगुली में भी युवराज की ही नामांकित मुद्रिका है।' ..'उसको तत्काल यहां उपस्थित करो !' निराशा में आशा की बिजली कौंध गई। . थोड़े ही क्षणों में महाप्रतिहार सुंदरसेन के वेश में मलया को लेकर खंड में आया। - मलया के तेजस्वी वदन को देखते ही महाराजा और महादेवी बहुत प्रभावित हुए । उन्होंने युवराज के वस्त्र पहचान लिये "राजमुद्रिका को भी पहचान लिया। .. महामंत्री ने पूछा---'युवक ! तेरा नाम क्या है ?' 'सुन्दरसेन...' 'कहां रहते हो?' मलया मौन रही। महाराजा ने पूछा---'भाई ! तेरा निवासस्थान कौन-सा है ?' मलया मौन खड़ी रही । असत्य बोलने से तो मौन श्रेष्ठ है, यह सोचकर वह बोली नहीं। महाबल मलयासन्दरी १८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003181
Book TitleMahabal Malayasundari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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