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________________ होता है कि आपने धोखा खाया है। यह कोई छद्मवेशी और ठग है। इसके साथ राजकन्या का विवाह होना राजकुमारों का भयंकर अपमान है।' महाराजा ने कहा- 'आप सब अपने संशय को मिटा दें। जिसके साथ विवाह हुआ है, वह वास्तव में ही युवराज है, तेजस्वी राजकुमार है।' 'इसका प्रमाण ?' 'हमारी कुलदेवी से हमें यह सारा ज्ञात हो चुका है। आप संशय न करें और अपने मन को शांत रखें। आपको यह भी ज्ञात होना चाहिए कि वज्रसार धनुष्य को उठाने की शक्ति राजपुत्र में ही हो सकती है, ऐसे-वैसे छद्मवेशी में नहीं हो सकती।' _ 'महाराज ! अनेक ऐन्द्रजालिक मंत्रबल के आधार पर ऐसा करने में समर्थ होते हैं।' एक दूसरे राजकुमार ने कहा। ___महामंत्री ने शांतभाव से कहा---'अनुभवी की दृष्टि छद्मवेशी को पहचानने में समर्थ होती है। हमको पूरा विश्वास है कि यह राजपुत्र ही है। फिर भी यदि कुछ 'किन्तु-परन्तु' रहता है तो अब कुछ भी नहीं किया जा सकता, क्योंकि राजकन्या का विवाह हो चुका है और आर्य नारी एक बार ही पाणिग्रहण करती ___कुछ समय के लिए सन्नाटा छा गया। कलिंग के राजकुमार ने कहा'स्वयंवर-मंडप में वज्रसार धनुष्य को उठाने वाले उस छद्मवेशी ने कहा था कि मार्ग में विपत्ति आ जाने के कारण सेना पीछे रह गई। महाराज ! यदि उसकी सेना सायंकाल तक नहीं आयी तो हम उस छद्मवेशी का सिर धड़ से अलग कर देंगे।' ___ महाराजा और महामंत्री अवाक रह गए। क्षणभर बाद महामंत्री ने कहा'राजकुमार ! जो राजपुत्र वज्रसार धनुष्य को उठा सकता है वह अपने मस्तक का मूल्य भी समझता है ऐसा कुछ प्रयत्न करने से पूर्व आप सब यह सोच लें कि आपके मस्तक कहीं धरती की धूल चाटने न लग जाएं।' ___ आठों राजकुमार क्रोध से लाल-पीले हो गए। महामंत्री ने महाराजा वीरधवल से कहा-'महाराजश्री ! स्थिति गंभीर है। आप इस स्थिति की जानकारी युवराज महाबल को दें।' महाराजा तत्काल चंपकमाला के पास गए और उसे साथ ले मलयासुन्दरी के कक्ष की ओर चले। उस समय कक्ष-प्रवेश की अंतिम विधि सम्पन्न हो रही थी। महाराजा को आते देख महाबल उनके सामने गया और नमन कर खड़ा रह गया। औपचारिक वार्तालाप के पश्चात् महाबल ने कहा-'महाराजश्री ! एक महाबल मलयासुन्दरी १६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003181
Book TitleMahabal Malayasundari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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