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रानी कनकावती एक आसन पर बैठती हुई बोली-'मेरी सखी ने ही कल आपका परिचय दिया था।'
मलया ने हंसते-हंसते कहा---'देवी ! निश्चित ही मैं. परम भाग्यशाली हूं। मैं सर्वथा अपरिचित आज सबका परिचित बन गया हूं।'
मगधा और कनकावती ने इस वाक्य को मुसकराकर स्वीकार किया। सभी अल्पाहार और दुग्धपान में लग गए।
महाबल मलयासुन्दरी १३१
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