________________
गई। ____ कनकावती मगधा के केलिगृह में बिछी हुई शैया के पास गई और अपनी आभरणों की पोटली एक कोने में छिपाकर रख दी। उसने खंड में पड़े दीपक को बुझा डाला और मदु शैया पर नींद की शरण ले ली। चिंता की चिनगारी से जले हुए व्यक्ति को नींद नहीं आती। कनकावती का चित्त संकल्प-विकल्प का जाल बुनने लगा।
पर उसको अभी तक यह ज्ञात नहीं था कि जिस मलयासुंदरी को वह मृत मान रही है, वह आज भी जीवित है और उसके प्रियतम ने ही उसे जीवनदान दिया है।
रात बीती । प्रातःकाल हो गया। वातायन की जाली से प्रातःकाल का मंद-मंद पवन आ रहा था। कनकावती की आंखें नींद से भारी हो गई थी।
महाबल मलयासुन्दरी १२१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org