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परिचारिका ने फिर पुकारा-'देवी...' मगधा ने चौंककर कहा-'कौन ?' 'मैं सुन्दरी...' 'बोल, क्या है ? 'कोई स्त्री आयी है और वह आपसे इसी समय मिलना चाहती है।'
'स्त्री !' मगधा को आश्चर्य हुआ''वेश्या के घर इस भयंकर रात्रि में अकेली स्त्री का आना । 'क्यों? क्यों आयी है ? क्या वह इसी नगरी की है ?' कहते-कहते मगधा शैया से उठकर बैठ गई।
'देवी ! उसने अपना परिचय देने से इनकार कर दिया। उसने इतना मात्र कहा है कि वह आपकी प्रिय सखी है।' ___'मेरी प्रिय सखी ?' मगधा विचार में खो गई। उसने सोचा--रानी कनकावती मेरे घर भला क्यों आएगी और फिर इस भयंकर रात्रि में तो उसका आना असंभव है। तो फिर यह कौन है ?'
मगधा उठी और बोली-'ला, मेरा उत्तरीय दे.''यह कंचकी के बंध ठीक कर । मुझे लगता है कि यह कोई कुलवधू है और अपने शराबी पति को ढूंढ़ने के लिए वेश्या के घर आयी है। कुल के गौरव की सुरक्षा के लिए संभव है परिचय न दिया हो।'
सुंदरी ने मगधा का कंचुकी-बंध ठीक किया और उत्तरीय देते हुए कहा"देवी ! आप मेरे साथ चलें।'
दोनों वहां से चलीं। .कनकावती प्रतीक्षा कर रही थी। सबसे पहले सुन्दरी ने खंड में प्रवेश किया। वह बोली-'देवी आ रही हैं।'
सुंदरी के पीछे-पीछे मगधा ने खंड में प्रवेश किया।
रानी कनकावती ने सुन्दरी से कहा-'तू बाहर जा और द्वार को बन्द करते जाना।'
अधिकारयुक्त वचन !
मगधा ने अपनी प्रिय सखी का स्वर पहचान लिया पर मन में विश्वास नहीं हुआ। ___सुन्दरी ने स्वामिनी की ओर देखा। मगधा ने आंख के संकेत से उसे बाहर चले जाने के लिए प्रेरित किया। ___ सुंदरी तत्काल खंड से बाहर चली गई और द्वार का दरवाजा बन्द कर
दिया।
तत्काल कनकावती ने मुंह पर से चादर हटायी। मगधा चौंकी। एकदम उसके निकट आकर बोली-'आप?'
महाबल मलयासुन्दरी ११६
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