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________________ फिर क्या हुआ...?' _ 'पाप और पुण्य के संघर्ष में पाप पुनः पराजित हुआ'तेरे प्रियतम के हाथों ने मौत के मुख से तुझे खींच लिया और तू बच गई।' युवराज ने कहा। ____ मलया कुछ कहे, उससे पूर्व ही किसी के आने की आहट सुनाई दी। दोनों चौंके। मलया ने कहा-'प्रियतम ! कोई आ रहा है, ऐसा प्रतीत होता है।' 'हां, किन्तु इस भयंकर वन में कौन आएगा?' 'संभव है, महाराज के सैनिक ''चलो, हम दूसरी ओर खिसक जाएं'कहकर मलया उठने लगी पर वह उठ नहीं सकी, क्योंकि महाबल ने उसका हाथ पकड़ रखा था। ___ महाबल ने हंसते-हंसते कहा-'घबराने की कोई बात नहीं है। मेरे पास एक रासायनिक गुटिका है'--कहते हुए उसने एक डिबिया से वह गुटिका निकाली और वह एक आम्रवृक्ष के पास गया । दो-चार पत्ते तोड़ वहां ले आया। मलया ने पूछा-'क्या है ?' 'यह एक अद्भुत वस्तु है। मैं आम्रपान के रस में इस गुटिका को घिसकर तेरे ललाट पर तिलक करूंगा और तू देखते-देखते पुरुष के रूप में बदल जाएगी।' 'पुरुष ?' 'हां, हमारे रक्षण का यह सुन्दर उपाय है। आने वाला यदि कोई सैनिक होगा तो वह तुझे पहचान नहीं पाएगा। कोई चोर-लुटेरा होगा तो मैं उसका सामना कर लूंगा। यदि साथ में कोई स्त्री हो, तो सामना करने में हिचक रहती महाबल ने तत्काल आम्र के पत्तों का रस निकाला । दो-चार बूंदें एक पत्थर पर डालीं। उसमें गुटिका घिसी और अपने ही हाथों से मलया के ललाट पर तिलक किया। उस द्रव्य का स्पर्श होते ही मलया के शरीर में झनझनाहट होने लगी। उसने कांपते हुए कहा---'स्वामिन् ! कुछ हो रहा है।' 'प्रिये ! घबराना नहीं है। यह एक महारसायन का प्रभाव है 'समग्र शरीर में एक प्रकार की क्रान्ति होती है। "देख "तेरे शरीर का परिवर्तन होने लगा मलया आश्चर्यभरी दृष्टि से अपना शरीर देखने लगी। उसके उन्नत उरोज गायब हो गए 'मलया चिल्लाते-चिल्लाते रुक गई। 'मेरा स्त्रीत्व...?' - 'छिप गया है । इस तिलक का प्रभाव दीर्घकाल तक रहेगा और मैं ही तुझे मूल रूप में ला सकूँगा''अब तेरा कंचुकीबंध व्यर्थ है 'अब तू धोती और कमर १८ महाबल मलयासुन्दरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003181
Book TitleMahabal Malayasundari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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