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१६. कौन होगा?
आराधना का पल पूरा हुआ। आवाज किस दिशा से आ रही है, यह जानने के लिए महाबल सतर्क हुआ"उसे प्रतीत हुआ कि कोई सुबक-सुबक कर रो रहा है। अरे, ऐसे निर्जन प्रदेश में, ऐसी नीरव रात्रि में कौन रो रहा है ?
महाबल ने तीक्ष्ण दृष्टि से आवाज की दिशा में देखा। थोड़ें ही समय पश्चात् एक भयावह दृश्य देखकर वह चमक उठा।
एक विशालकाय अजगर इसी आम्रवृक्ष की ओर आ रहा था। उसके मुंह में एक मनुष्य था ''वह उस मनुष्य को आधा निगल चुका था।
महाबल ने सोचा-इस भयंकर अटवी में, ऐसी अंधेरी रात में अजगर ने किसका शिकार किया है ! 'नहीं-नहीं, अभी मनुष्य को आधा ही निगला पाया है । अभी तक अजगर ने उसे चबाया नहीं है। मुझे तत्काल इस मनुष्य को मौत के मुख से बचा लेना चाहिए। मैं स्वयं मौत के मुंह से बचा हूं..'मेरा कर्तव्य है कि मैं मौत से अभय होकर दूसरों को मौत से बचाऊं। ऐसी विपत्ति में यदि मैं किसी का हित संपादन करता हूं तो प्रकृति भी मेरा सहयोग करेगी और यदि मेरी मौत आ जाएगी तो इतना तो मानसिक तोष होगा कि मैंने अपने प्राण दूसरे को बचाने में विसर्जित किए हैं।
यह सोचकर महाबल ने नवकार मन्त्र का स्मरण किया और अजगर की ओर आगे बढ़ा। अजगर की आंखें दो धगधगते अंगारों जैसी थीं। किन्तु महान् पराक्रमी और पूर्ण अभीत महाबल अजगर पर जा गिरा और अपने मजबूत हाथों से अजगर के दोनों जबड़ें शक्ति लगाकर पकड़ लिये। ____ अजगर व्यग्र हुआ''क्रोध से भर गया' 'किन्तु महाबल ने अजगर को चीर डाला। उस अजगर के मुंह में फंसा मनुष्य एक ओर उछलकर गिर पड़ा... महाबल ने ध्यान से देखा--वह पुरुष नहीं एक स्त्री थी, युवती थी। ___मौत के मुंह से रक्षित युवती अति मंद स्वर में बोली-'महाबल !.... महाबल'' 'महाबल''मुझे 'तेरा...'
युवती अधिक नहीं बोल सकी, वह मूच्छित हो गई।
६४ महाबल मलयासुन्दरी
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