________________
शक्ति ! निश्चित ही यह कोई विद्याधरी, खेचरी अथवा कोई अन्य देवी है।
महाबल ने अपनी पकड़ और अधिक मजबूत कर दी। उसने अपनी सारी शक्ति लगाकर हाथ पकड़े रखा । उसने मन-ही मन यह निर्णय कर लिया था कि परिणाम कुछ भी आए, किन्तु मैं इस मांत्रिक नारी को नहीं छोड़गा। ___ वह कटा हुआ हाथ वातायन से आकाश की ओर उठा। वह धीरे-धीरे आकाश में ऊपर उठने लगा । महाबल उस हाथ को पकड़े हुए ऊपर उठा । उस समय वह ऐसा लग रहा था मानो किसी वृक्ष पर फल लटक रहा हो। उसने सोचा अब हाथ को छोड़ने का कोई अर्थ ही नहीं है; क्योंकि यदि वह हाथ को छोड़ता है तो सीधा नीचे आ गिरता है। ____ कटा हुआ हाथ महाबल के साथ तीव्र गति से जाने लगा । महाबल ने देखा कि यह हाथ नगरी से भी बहुत दूर-दूर चला जा रहा है 'कहां जाएगा? जहां कहीं भी जाए''अब तो मुझे इसका अंत लेना ही होगा।
कटा हुआ हाथ भी बार-बार प्रबल झटके से महाबल को नीचे गिराने का प्रयत्न कर रहा था किन्तु महाबल जलोक की भांति उसके साथ चिपका हुआ था। ___कटे हुए हाथ ने अनेक प्रयत्न किए पर वह अपने प्रयत्न में सफल नहीं हुआ । एक घटिका के प्रयाण से हाथ बहुत-बहुत दूर चला गया । अनेक छोटेबड़े उपवन, नदी-नाले पीछे रह गए । महाबल कुछ चितित हुआ-अरे ! यह हाथ मुझे कहां ले जाएगा? ओह ! मुझे तो मलया के स्वयंवर में जाना है... माता के प्राणों को बचाने के लिए लक्ष्मीपुंज हार को खोज लाना है पर यह कहां ले जाएगा, कल्पना भी नहीं की जा सकती।
यह कटा हुआ हाथ किसका होगा? इसके अन्य अदृश्य अंगों को कैसे पकड़ा जाए? एक हाथ मुक्त कर खड्ग से प्रहार करूं तो क्या वांछित परिणाम आ सकता है ? नहीं-नहीं. ऐसा करने पर तो मुझे मृत्यु का आलिंगन ही करना पड़ेगा। क्योंकि इसके साथ-साथ मुझे भी धरती पर गिरना पड़ेगा। ओह ! कितनी नीचे है धरती ! वहां गिरने पर...?
तब क्या करूं?
इधर महाबल आश्चर्यचकित हो रहा था। इतने में कटे हुए हाथ ने तीव्र वेग से महाबल को झकझोरा' 'किन्तु महाबल की पकड़ नहीं छूटी। वह ज्यों का त्यों हाथ से लगा रहा। अपनी असफलता के कारण कटे हुए हाथवाली नारी धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी। ___ नारी की आकृति को देखते ही महाबल ने प्रचंड वेग से उसके मुंह पर एक मुक्का मारा और तत्काल नारी के दोनों हाथों को पकड़कर मजबूती से जकड़ लिया।
महाबल मलयासुन्दरी ११
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org