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जैन मुनियों का साहित्यिक योगदान | ६१
कपट क्रिया से नहीं तरिया,
बाज आचारी पेट भरिया । इसा सांग तो बहु करिया,
महिमा कारण करि माया । भोला नर ने भरमाया,
स्यू कपट धरम प्रभुः फरमाया ॥ इस प्रकार चन्दन की सौरभ की सभी रचनाए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र एवं प्रत्येक पक्ष को समुन्नत बनाने की पुनीत प्रेरणा प्रदान करती हैं। काव्य के भावपक्ष और कलापक्ष दोनों ही दृष्टियों से यह संग्रह मूल्यवान है। राजस्थानी साहित्य के क्षेत्र में चन्दन की सौरभ अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त करेगी, ऐसी आशा है ।
- [चन्दन की सौरभ-प्रस्तावना से]
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